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आखिर “द इंडियन एक्सप्रेस” की परेशानी क्या है?

कुछ बथान से...
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आखिर “द इंडियन एक्सप्रेस” की परेशानी क्या है? भारत से, भारत की सेना से, भारत की संप्रभुता और अखंडता से इंडियन एक्सप्रेस को आखिर क्या तकलीफ है ये समझ से परे हो चूका है।

आज द इंडियन एक्सप्रेस के पहले पन्ने पर एक खबर छपी है जिसमे कोस्ट गार्ड के डीआईजी बीके लोशाली के बयान के एक अंश को आधार बना कर नव वर्ष की पूर्व संध्या पर पोरबंदर के पास समंदर में पाकिस्तानी आतंकियों के बोट को उड़ाने के मामले को संदिग्ध बनाने की कोशिश की गई है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सरकार का दावा गलत था जिसमे कहा गया की आतंकियों ने खुद नाव को उड़ाया जबकि डीआईजी बीके लोशाली का कहना है उन्होंने उस नाव को उड़ाने का आदेश ये कहते हुए दिया की हम उन्हें बिरयानी नहीं परोसना चाहते। अख़बार ने इस खबर को पूरी तरह सनसनीखेज बनने की कोशिश की है, और मूढ़ समाचार जगत ने अपने हर माध्यम से इस खबर को इंडियन एक्सप्रेस का हवाला देकर प्रसारित कर दिया है। जबकि सच्चाई पूरी तरह से अलग है।

इस खबर के आने के फ़ौरन बाद डीआईजी बीके लोशाली ने एक विज्ञप्ति जारी कर साफ कर दिया है की उन्होंने ना तो ऐसा कोई बयान दिया है ना ही वे उस ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया है की एक समारोह के दौरान कहा था की राष्ट्रविरोधी तत्वों को बिरयानी खिलाने की जरूरत नहीं, उनपर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. डीआईजी श्री लोशाली ने यह भी स्पष्ट किया की उस ऑपरेशन की जिम्मेदारी वह नहीं बल्कि कोस्ट गार्ड कमांडर (नॉर्थ-वेस्ट) संभाल रहे थे. अख़बार ने उनके इन शब्दों को गलत तरीके से पेश कर के पूर्व की भाँति एक भ्रामक और निराधार खबर प्रकाशित किया है।

यहाँ महत्वपूर्ण बात ये है की जब ये घटना हुई उस वक्त कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह सहित तमाम कांग्रेसी नेताओं ने मोदी सरकार, नवनियुक्त रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर सहित भारतीय नौ सेना को कठघरे में खड़ा कर के हंगामा मचा दिया था। तब कांग्रेस ने यह आरोप लगाया था की सरकार की पीठ थपथपाने के लिए इसे पाकिस्तानी बोट साबित किया जा रहा है। ऐसा आरोप लगाने वाले वही दिग्विजय सिंह थे जिन्होंने मुंबई हमलों के वक्त ये कहा था की ये हमला राष्ट्रीय सवयंसेवक संघ ने कराया है और पूरी बेशर्मी से इस बयान पर अड़े रहे। जबकि उस हमले में पाकिस्तान ख़ुफ़िया एजेंसी और हाफ़िज़ सईद का हाथ था और पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने उस हमले में बेनकाब हो गया। आज की खबर प्रकाशित होने के फ़ौरन बाद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्विटर पर लिखा कि ‘श्रीमान रक्षा मंत्री, बड़ा पाप क्या है, पाक बोट को उड़ाना या देश से झूठ बोलना? अगर वे असल में आतंकवादी थे तो उन्हें धमाके में उड़ाने पर शर्मसार क्यों होना? यानी आज भी कांग्रेस ये मानती है की वह नाव पाकिस्तानी आतंकवादियों की नहीं थी। उन्हें ना तो सरकार पर भरोसा है ना ही अपने सेना पर। यहाँ बड़ा सवाल भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को लेकर कांग्रेस की सोच का तो है ही भारतीय समाचार जगत और ख़ास कर इंडियन एक्सप्रेस की सोच का भी है।

इससे पहले भी इंडियन एक्सप्रेस कई बार भारतीय सेना के ख़िलाफ़ निराधार और मनगढ़ंत कहानियाँ छाप चूका है। इस अख़बार ने 4 अप्रैल 2012 को इसी तरह की एक मनगढंत कहानी छापी जिसमे भारतीय सेना को दुनिया के सामने बदनाम करने का साजिश रचा गया। जिसमें देश को बताया गया कि 16 जनवरी 2012 को भारतीय सेना ने विद्रोह करने की तैयारी कर ली थी. इस ख़बर से लगा कि भारतीय सेना देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर फौजी तानाशाही लाना चाहती है. इस ख़बर ने सारे देश में न केवल हलचल पैदा की, बल्कि सेना को लेकर शंका का वातावरण भी पैदा कर दिया। इसबार की तरह ही तब भी इंडियन एक्सप्रेस का हवाला देकर सभी समाचार माध्यमों ने सेना के खिलाफ बिना सोचे समझे या खबर की पुष्टि किये बिना मोर्चा खोल दिया था। हालांकि तब इस खबर के आने के कुछ ही देर बाद यह स्पष्ट हो गया की यह झूठी, बकवास और किसी खास नापाक इरादे से छापी गई निराधार खबर है। सेना के एक साधारण सैन्य अभ्यास को साजिश बना के पेश कर दिया गया। बाद में यह स्पष्ट हो गया की यह खबर तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल विजय कुमार सिंह को बदनाम करने के लिए छापा गया। आगे जाँच से यह भी स्पष्ट हो गया की ये देशद्रोहियों और हथियारों के दलालों द्वारा रचा गया साजिश था जिससे देश में अस्थिरता और सेना को लेकर के भ्रम की स्थिति पैदा की जा सके, लेकिन आई बी ने इस साजिश को बेनकाब कर दिया। तब एक अन्य अख़बार चौथी दुनियाँ के संपादक संतोष भारतीय ने एक विस्तृत लेख लिख कर ना सिर्फ इस खबर की हवा निकल दी बल्कि उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के संपादक शेखर गुप्ता पर गंभीर और स्पष्ट आरोप लगाये।

अब प्रश्न उठता है की इस तरह की बेबुनियाद आधारहीन खबरों को बार बार छापने के पीछे इंडियन एक्सप्रेस का मकसद क्या है? क्या इंडियन एक्सप्रेस पत्रकारिता के नाम पर राष्ट्रद्रोहियों और षड्यंत्रकारियों का अड्डा बनता जा रहा है? एक प्रश्न यह भी है की जब हर अख़बार और हर टीवी चैनल खुद को सबसे अलग और सबसे विश्वसनीय साबित करने में लगे हुए है (हालाँकि आज सबकी विश्वसनीयता दांव पर लगी है), तब कैसे किसी खबर को बिना पुष्टि के सिर्फ इंडियन एक्सप्रेस का हवाला दे कर उसके मनगढ़ंत खबरों का प्रसार प्रचार करने लगते है।

– अंजन कुमार

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