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दोस्ती, विश्वास और ठगी

कुछ बथान से...
कुछ बथान से...
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दोस्तों,

मैं अभी एक ऐसे घटना का जिक्र करने जा रहा हूँ जिसे देख कर मैं स्तब्ध हूँ, मुझे ऐसा लगता है की यह घटना हम में से किसी के भी साथ घट सकती है. मैं चाहता हूँ की आप इसे पढ़े और अपना बहुमूल्य प्रतिक्रिया / सुझाव दें साथ हीं शीर्षक सुझाएँ –

मेरे एक मित्र है जो कई सालों तक मेरे Room-Mate रह चुके है और जिन्हें मैं बहुत सालों से जनता हूँ. अभी वो बेरोजगार है और नौकरी की तलाश में है. इसी सिलसिले में आज से एक सप्ताह पहले साक्षात्कार देने जाते समय बस स्टैंड पर उनकी मुलाकात एक लड़के से हुई. उसने इनसे बातचीत शुरु की और बातों बातों में उसने बताया की वो एक बहुराष्ट्रीय बैंक में काम करता है और अगर उसके ऑफिस में कोई स्थान रिक्त होता है तो वो इनसे संपर्क करेगा. फिर उसने इनका मोबाइल नंबर ले किया. उसने अगले दो तीन दिन टेलीफ़ोन बूथ से फ़ोन किया, बातचीत करने का बिषय और तरीका दोस्तों जैसा रहा.

उसके अगले दिन उसने फ़ोन कर के बताया की उसने अपने बॉस से बात की है और तुम्हारा बायो डाटा, शैक्षणिक प्रमाण-पत्र और फोटो चाहिए. मुझे ऑफिस के काम से तुम्हारे घर के तरफ आना है, तुम सब एक साथ कर के रखो मै आते हुए लेता जाऊंगा. कुछ घंटो के बाद वो मेरे मित्र के घर पहुंचा और सारे पेपर के ले कर चला गया.

कल शाम (24 मार्च 2011) 4 बजे वो मेरे मित्र के घर आया. उसने बताया की बात चल रही है और तुम्हारी नौकरी हो जाएगी. करीब एक घंटे तक दोनों बैठे रहे और इधर-उधर की बातें करते रहे. फिर उसने बताया की उसे पुरानी मोटर साइकिल खरीदनी है तो साथ में चलते है और पसंद करते है. दोनों एक साथ सुबाष नगर मार्केट पहुंचे और एक-दो दुकान में मोटर साइकिल देखने के बाद वो दुकान में गए और उसने वहाँ एक बजाज पल्सर 180 जिसका नंबर HR26 BB 0169 मोटर साइकिल पसंद की. दुकानदार से बातचीत करते हुए उसने मोटर साइकिल चला कर टेस्ट करने के लिए कहा, दुकानदार ने चाभी दी और वो मोटर साइकिल टेस्ट करने गया और फिर …

वापस नहीं आया.

बहुत देर तक इंतजार करने के बाद जब वो नहीं लौटा तो मेरे मित्र ने उसके मोबाइल पर फ़ोन किया, नंबर गलत निकला. जिस नंबर से उसका फ़ोन आता था वो नंबर पब्लिक बूथ का निकला. दुकानदार ने अपने पडोसी दुकानदारों को बुला लिया और मेरे मित्र पे मोटर साइकिल चोरी का इलज़ाम लगा दिया यह बता कर की ये उसके साथ था. पुलिस भी आई. ऊपर लिखी सारी घटना मेरे मित्र ने सबको बताई. वहाँ उपस्थित किसी को विश्वास नहीं हुआ (हो सकता है आप में से भी बहुत लोगों को विश्वास नहीं हो, आज के इस तेज़ तर्रार दुनियाँ में सीधे साधे लोगों का कोई विश्वास शायद हीं कोई करे) दुकानदार का कहना सही था. मोटर साइकिल की कीमत 50 हजार लगाई गई और ये पैसे मेरे मित्र को देने थे. मेरे मित्र के फ़ोन करने पर मेरे दो और मित्र वहाँ पहुंचे. बहुत देर के बातचीत के बाद आधे पैसे, सादे कागज़ पर हस्ताक्षर फिर ID कार्ड जमा करने के बाद तीनों घर आये.

आज बाकि के पुरे पैसे दिए गए. दुकानदार ने मोटर साइकिल के कागज़ मेरे मित्र के नाम किये और थाने जा कर मोटर साइकिल चोरी का रिपोर्ट दर्ज कराया गया.

दोस्तों, इस तरह की परिस्थितियों में और क्या किया जा सकता है अपना सुझाव अवश्य दें. यह घटना आप तक पहुँचाने का मेरा मकसद सिर्फ यह है की आप ध्यान रखें की ऐसे लोगों के संपर्क में न आयें.

धन्यवाद!
अंजन कुमार

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